क्या आपको महान चाणक्य की याद आ गयी, क्योंकि, कूटनीति शब्द आचार्य चाणक्य के साथ जुड़ा हुआ लगता है। यदि परिभाषित करना हो तो ‘‘कूटनीति’’ व्यवहार की एक कला है जिसमें संवेदनाएं और चतुराई की समझ बहुत जरुरी है। प््रााचीन काल में कूटनीतिज्ञ का संबंध विदेशी मामलों को निपटाने वाले प्रतिनिधियों से था। परन्तु आजकल कूटनीति एक साधारण व्यवहार की कला मान ली गयी है।
1 कूटनीतिक दुनिया
‘‘आजकल की उलझी हुुयी, धमकियों भरी दुनिया में हमारी सुरक्षा, शक्ति के बहुत सारे तत्वों पर निर्भर करती है- बराक ओबामा के अनुसार सैद्धांतिक कूटनीति उसका परम आवश्यक अवयव है।’’
2 कूटनीतिज्ञों के काम
वैसे तो कूटनीतिज्ञों का काम विचार करना, सत्य को शक्ति के अवयवों से हासिल करना और शांति को बनाये रखना है। परन्तु एक कूटनीतिज्ञ बहुत सारे काम ऐसे करता है जैसे उसने कुछ किया ही नहीं। अर्थात् कुछ न करते हुये दिखना और वो पा लेना जो आप चाहते हो। यही कूटनीतिज्ञों का काम है। महान हेनरी किसींगर कहते हैं कि ‘‘कूटनीति ताकत को संभालकर रखने की कला है।’’ वहीं विल डूरांट के अनुसार कूटनीति की आधी कला यही है कि ‘‘आप जब कह रहे थे तब आपने कुछ नही कहा।’’ और बची हुयी आधी कला कि जब आप चुप थे उन्होंने आपकी बात सुन ली।
3 कूटनीतिज्ञ कैसे बनें?
शांत रहना सीखें, जीवन की पृष्ठभूमि समझें और मानव चेतना को समझना शुरु करें। डेविड फ्रास्ट के अनुसार कूटनीति अपने रास्ते पर किसी और को भेज देने की कला है।’’ कोई भी व्यक्ति जो कूटनीतिज्ञ बनना चाहता है उसे विश्लेषण और संश्लेषण के सिद्धांत समझने होंगे। और साथ ही उसे संप्रेषण की कला पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे कि आइजक गोल्डवर्ग कहते हैं ‘‘ बहुत खराब और चुभने वाली चीजें अच्छे और सही तरीके से करना ही कूटनीति है।
4 युद्ध और कूटनीति
पुराने जमाने में शासन को बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती होती थी। हर राजा के दरबार में दरबारी लोग हुआ करते थे। जो राजा की निगाह में स्वयं को चढ़ाने के दांव पेंच खेलते रहते थे। कुछ विशेषज्ञ दरबारी संस्कृति के अलावा विदेशी मामलों की योग्यता भी हासिल कर लेते थे, वे कूटनीतिज्ञ माने जाते थे। महान चाणक्य ने आधी दुनिया जीत चुके सिकंदर को सिर्फ कूटनीति के दम पर भारत में पैर पसारने से रोक दिया। परन्तु आज का जीवन ही युद्ध बन गया है। समाज हो या पड़ोसी, सब चाल चलते हैं। सब सिर्फ अपने फायदे को ही परम लक्ष्य बना लेते हैं। तो इस युद्ध जैसे जीवन में कूटनीति की कला सीखे बिना ज्यादा समय तक सुखी नही रहा जा सकता।
5 कूटनीति-राजनीति की नानी
सब अपना राज चलाना चाहते हैं और अपना राज चलाने के लिए जो तरीके वो इस्तेमाल करते हैं उसे वो राजनीति की संज्ञा देते हैं। प्लेटो के अनुसार बुद्धिमान लोग बोलते हैं क्योंकि उनके पास कहने के लिए कुछ होता है। और मूर्ख बोलते हैं क्योंकि उन्हें कुछ कहना है।‘‘ यही अंतर है राजनीति और कूटनीति में। राजनीति थोड़े समय के लिए छोटी सफलता दिला सकती है परन्तु यदि स्थायी रुप से बड़ी उपलब्धि हासिल करने की इच्छा हो तो कूटनीति का ज्ञान हासिल करना होगा। क्योंकि कूटनीति राजनीति की नानी है।
(क्रमशः)
गप्पू चतुर्वेदी
100counsellors.com
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