जीवन में दुर्घटनाओं का अस्तित्व कुछ सीखने और महसूस करने के लिये होता है।
भोपाल गैस त्रासदी विश्व औद्योगिक परिदृश्य में एक सबसे बड़ी भूल थी।
1 भोपाल गैस त्रासदी-02-03 दिसम्बर 1984
(Bhopal Gas Tragedy 02-03 Dec 1984)
02-03 दिसम्बर की रात भोपाल की यूनियन कार्बाइड प्लांट से एक जहरीली गैस मिथाइल आइसो सायनाइड (MIC) लीक हो गई। ठंडी, कोहरे भरी रात होने के कारण यह गैस आसमान में जाने के बजाय सड़कों पर तैरने लगी। खांसते और आंखे मसलते हुये लोग अपने घर छोड़कर भागने लगे। कई बच्चे अपने घर वालों से बिछुड़ गये और बुजुर्गो ने ठंड और जहरीली गैस के कारण दम तोड़ दिया। भोपाल गैस त्रासदी विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में शामिल है।
2 यूनियन कार्बाइड का इतिहास
यूनियन कार्बाइड की स्थापना 1969 में हुयी थी। यूनियन कार्बाइड का प्लांट पहले अमेरिका में था जिसे वहां से हटा दिया गया क्योंकि यह अमेरिका के लोगों के लिये खतरनाक साबित हो सकता था। परन्तु भारत की राजनीति इंसान की कद्र नहीं करती और भारतीय राजनेताओं ने भोपाल शहर के बीचों-बीच यूनियन कार्बाइड डालने की इजाजत दे दी।
यूनियन कार्बाइड में पहले खाद बनायी जाती थी फिर जहरीली गैसों के साथ प्रयोग करना शुरु कर दिया गया। भोपाल गैस त्रासदी ( Bhopal Gas Tragedy ) में लगभग 20000 से ज्यादा लोग मारे गये। किन्हीं दबावों के चलते यूनियन कार्बाइड को दिवालिया घोषित कर दिया गया और बाद में डाउ केमिकल्स ने इसे खरीद लिया।
3 भोपाल गैस त्रासदी- क्या हुआ था?
यूनियन कार्बाइड के कर्मचारियों की अंदरुनी राजनीति के चलते फैक्ट्री का मेन्टीनेन्स लगभग न के बराबर था। वाल्व लीक कर रहे थे और इसके कारण टैंक में पानी प्रवेश कर गया। सेफ्टी सिस्टम जैसे कई जरुरी उपकरण बंद कर नेताओं और अमीरों के एसी चलाने के लिये बिजली बचाई गयी। एमआईसी का अतिरिक्त भंडार इकट्ठा था और कर्मचारियों की छंटनी की जा रही थी।
अंग्रेजी ना समझने वाले कर्मचारियों के लिये भी हिन्दी मैन्युअल की कोई व्यवस्था नहीं की गयी। कुशल कर्मचारी यूनियन कार्बाइड छोड़कर जा रहे थे और बाकीयों ने अपनी यूनियन बना ली थी। प्रबंधन की ढिलाई और खामियां भोपाल गैस त्रासदी की सबसे बड़ी वजह बनी।
4 भारत की राजनीति और भोपाल गैस त्रासदी
यूनियन कार्बाइड का मालिक वारेन एंडरसन मूलतः इटली का नागरिक था और यूनियन कार्बाइड एक बहुराष्ट्रीय कंपनी थी। अमेरिका से भगाये जाने पर इन्हें कोई और जगह तलाश करनी थी। और भारत के उस समय की सरकार अपने स्वार्थ और राजनीतिक फायदों के लिये यूनियन कार्बाइड को भोपाल में स्थापित करवाने के लिये तैयार हो गयी।
भोपाल शहर के बीचोंबीच यूनियन कार्बाइड को जगह दे दी गयी ताकि वो अपने गंदे मानवीय प्रयोगों के लिये भोपाल की जनता का इस्तेमाल कर सकें।
5 मुआवजा और मानव के गंदे खेल
हजारों लोगों को मौत के घाट निकालने के बाद जब मुआवजा देने की बारी आई तो तत्कालीन सरकार और उसके मंत्री सिर्फ अपराधियों को बचाने में लगे रहे। गंदे वारेन एंडरसन को सरकारी जहाज में भोपाल से दिल्ली और फिर विदेश ले जाया गया।
लंबी-लंबी लाइन में लगे हुये लोग सिर्फ 200 रुपये महीने के मुआवजे के लिये परेशान होते रहे। आज तक मुआवजे की असली रकम नहीं बांटी गयी और भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता मुआवजे के नाम पर मलाई खाते रहे।
6 सबक
भोपाल गैस त्रासदी से सबसे पहला सबक सीखना चाहिये कि औद्योगिक केन्द्रों पर ही उद्योगों की स्थापना हो और खासतौर पर जहरीले पदार्थों का उत्पादन करने वाले औद्योगिक इकाईयों के निर्माण के वक्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पूरी तरह पालन होना चाहिये।
www.webowebs.com– भोपाल गैस त्रासदी (श्रद्धांजलि)
दुखी होने के लिये जीवन रोज नये अवसर देता है पर जब आलस, राजनीति और स्वार्थ जैसी मानवीय विकृतियां दुख का कारण बन जाए तो अफसोस के साथ क्रोध भी आता है।
भोपाल गैस त्रासदी एक मानवीय भूल थी जो औद्योगिक दुर्घटना के रुप में परिलक्षित हुई।
हजारों जीवन बर्बाद हो गये और वक्त की छाती पर कभी न भरने वाला जख्म रह गया।
भोपाल गैस त्रासदी की 33 वीं बरसी पर दिवंगत सभी आत्माओं को www.webowebs.com एवं www.100counsellors.com की ओर से नमन और श्रद्धांजलि।
इंसान की बात मत करो लघु कथा भोपाल गैस त्रासदी कांड पर आधारित
animated story based on Bhopal Gas Tragedy 03 dec 1984
गप्पू चतुर्वेदी
www.100counsellors.com
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