nav dura ka mahatv aur puja mantra

नवरात्रि आरंभ होते ही मां दुर्गा के नाम की गूंज फैल जाती है। हर घर में, हर मोड़ पर आदि शक्ति के रूपों का नाम मन से पुकारा जाता है कहते हैं कि मां का नाम जप लेने से ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। लेकिन अगर कोई माता के सभी 9 रूपों की #स्तुति मंत्रों की जानकारी रखता हो, और उनका जाप करे तो वह अधिक लाभदायक होता है।
नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी माँ के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।

नवरात्रि की नौ दिनों की नौ देवियों के 9 मंत्र जाप । नौ देवी पूजन के मंत्र NAVDURGA MANTRA WITH LYRICS

नव दुर्गा महत्व

  • शैलपुत्री- सम्पूर्ण जड़ पदार्थ भगवती का पहला स्वरूप हैं

पत्थर, मिट्टी , जल , वायु  ,अग्नि  और आकाश सब शैल पुत्री का प्रथम रूप हैं।

इस पूजन का अर्थ है प्रत्येक जड़ पदार्थ में परमात्मा को अनुभव करना।

  • ब्रह्मचारिणी- जड़ में ज्ञान का प्रस्फुरण, चेतना का संचार भगवती के दूसरे रूप का प्रादुर्भाव है।

जड़ चेतन का संयोग है। प्रत्येक अंकुरण में इसे देख सकते हैं।

  • चंद्रघंटा-भगवती का तीसरा रूप है यहाँ जीव में वाणी प्रकट होती है जिसकी अंतिम परिणिति मनुष्य में बैखरी (वाणी) है।
  • कुष्मांडा- अर्थात अंडे को धारण करने वाली; स्त्री ओर पुरुष की गर्भधारण, गर्भाधान शक्ति है

जो भगवती की ही शक्ति है, जिसे समस्त प्राणीमात्र में देखा जा सकता है।

  • स्कन्दमाता- पुत्रवती माता-पिता का स्वरूप है अथवा प्रत्येक पुत्रवान माता-पिता स्कन्द माता के रूप हैं।
  • कात्यायनी- के रूप में वही भगवती कन्या की माता-पिता हैं। यह देवी का छठा स्वरुप है।
  • कालरात्रि-  देवी का सातवां रूप है |

जिससे सब जड़चेतन मृत्यु को प्राप्त होते हैं |

मृत्यु के क्षण हर प्राणी को इसी स्वरूप का अनुभव होता है।

भगवती के इन सात स्वरूपों के दर्शन सबको प्रत्यक्ष सुलभ होते हैं , परन्तु आठवां ओर नौवां स्वरूप सुलभ नहीं है।

  • देवी दुर्गा जी  का आठवां स्वरूप महागौरी गौर वर्ण का है।
  • माँ  का नौंवा रूप सिद्धिदात्री है।

यह ज्ञान अथवा बोध का प्रतीक है, जिसे जन्म जन्मांतर की साधना से पाया जा सकता है।

इसे प्राप्त कर साधक परम सिद्ध हो जाता है। इसलिए इन्हें  सिद्धिदात्री कहा है।

|| जय माता दी ||

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